दुनिया के तीन घनी आबादी वाले क्षेत्रों में तबाही मचा चुका है कोरोना, अब मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती में दस्तक, यहां 15 लाख गरीब रहते हैं

कोरोनावायरस ने दुनिया को चपेट में ले रखा है। 12 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। 65 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव घनी आबादी वाले इलाकों में देखा गया है। फिर वह चीन का वुहान शहर हो, जहां से इस वायरस की शुरूआत हुई या इटली का लोम्बार्डी या फिर अमेरिका का न्यूयॉर्क। इन तीनों जगहों पर अभी तक कोरोना ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। अब इस वायरस ने एशिया की सबसे बड़े झुग्गी बस्ती यानी मुंबई के धारावी में दस्तक दे दी है। यहां महज 613 हेक्टेयर में करीब 15 लाख लोग झुग्गियों में रहते हैं। ये ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर और गरीब तबके से हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यहां अभी तक संक्रमण के 6 मामले सामने आ चुके हैं। एक की मौत हो चुकी है। पूरे मुंबई का आंकड़ा देखें तो यहां 30 लोग दम तोड़ चुके हैं। यही कारण है कि धारावी में कोरोना का मामला सामने आते ही डर पसर गया। दुनियाभर के विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने अगर तुरंत जरूरी कदम नहीं उठाए तो यहां लोम्बार्डी, वुहान और न्यूयॉर्क से ज्यादा खराब हालात होंगे। भास्कर की खास रिपोर्ट...  



चीन के वुहान की यह ताजा तस्वीर है। अब यहां हालात काबू में है। लोग सुरक्षा के लिए पॉलिथिन ओढ़कर चल रहे हैं।


वुहान में सवा करोड़ लोग रहते, यहीं से कोरोना की शुरूआत हुई


चीन के हुबेई प्रांत के शहर वुहान से कोरोनावायरस की शुरूआत हुई। यहां की आबादी करीब सवा करोड़ है। मध्य चीन में सबसे ज्यादा आबादी वाला क्षेत्र है। जब कोरोना संक्रमण फैला तो यहां 80 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए थे। अब हालात सामान्य बताए जा रहे हैं। 1300 से ज्यादा मौतें वुहान और आस-पास के क्षेत्रों में हुईं। हालांकि यहां सुविधाएं काफी बेहतर रहीं इसके चलते सरकार ने संक्रमण पर काबू पा लिया।  



यह तस्वीर इटली के लोम्बार्डी की है। यहां कोरोना ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। 


इटली के लोम्बार्डी में सबसे ज्यादा मौतें
इटली का लोम्बार्डी शहर कोरोना से मरने वालों का सबसे बड़ा केंद्र साबित हुआ। 420 किलोमीटर की दूरी में फैले इस शहर में करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। यह इटली का सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र है। कोरोना से यहां करीब 8 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 63 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं। लोम्बार्डी में भी स्वास्थ्य चिकित्सा की सुविधाएं भारत के मुकाबले काफी बेहतर हैं। पूरे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इटली को स्वास्थ्य मामलों में दुनिया में दूसरा सर्वश्रेष्ठ देश माना है। इसके बावजूद यहां संक्रमण ने ऐसे पांव पसारे कि हजारों लोगों की मौत हो गई। पूरा सिस्टम फेल होता नजर आया।



न्यूयॉर्क में डॉक्टर्स की मदद के लिए हेल्थ वर्कर्स का कैंप लगा हुआ है। जरूरी सामान की सप्लाई यहीं से होती है। 


न्यूयॉर्क में अब तक 2 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
 अमेरिका में अब तक कोरोना के तीन लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। 8 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां का सबसे घनी आबादी वाला इलाका न्यूयॉर्क है। यहां की आबादी करीब 80 लाख है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क में अब तक  68 हजार लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। जबकि मरने वालों की संख्या 2 हजार 254 है। यह आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ रहा है। यहां भी स्वास्थ्य सेवाएं भारत के मुकाबले काफी बेहतर है और लोगों में हाईजिन की नॉलेज है। लोग खुद से साफ-सफाई और बचाव का ख्याल रखते हैं।  



यह तस्वीर मुंबई की धारावी झुग्गी बस्ती की है। गंदगी देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां कोरोना फैलने की सबसे ज्यादा संभावना है। 


धारावी को लेकर चिंता क्यों?
लोम्बार्डी, वुहान, न्यूयॉर्क की अपेक्षा धारावी ज्यादा चिंता का विषय है। महज ढ़ाई किलोमीटर के दायरे में करीब 15 लाख लोग रहते हैं। ये मजदूर और गरीब तबके के लोग हैं। भारत के कई ऐसे जिले हैं जहां इतनी आबादी नहीं होगी। सुविधाओं और स्वच्छता के मामले में इसका स्तर सबसे नीचे है। एक-एक झुग्गी में दस से 15 लोग रहते हैं। ऐसे में कोरोना के लिए सबसे जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग यहां कभी मेंटेन नहीं हो सकती। बड़ी संख्या में लोग एक ही जगह स्नान करते हैं। शौच करते हैं। हर किसी का एक-दूसरे के घर आना-जाना होता है। यही कारण है कि यहां संक्रमण काफी तेजी से फैल सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह काफी भयावह स्थिति होगी। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे भी इस बात को स्वीकार करते हैं। मीडिया से बात करते हुए टोपे कहते हैं, "अब तक ये बीमारी एक खास वर्ग तक सीमित थी। इसे आम जनता में नहीं फैलना चाहिए। हमारा उद्देश्य भी यही है। हमने अब तक जो कदम उठाए हैं, वो इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए तय किए थे। लेकिन जब धारावी जैसी सघन आबादी वाली जगह से मरीज सामने आते हैं तो ये हमारे लिए चिंता का विषय है। अब सरकार कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग से लेकर प्रोटोकॉल से जुड़े सभी कदमों को उठाएगी ताकी इसे यहीं रोका जाए।''    



धारावी के एक-एक झुग्गी में 10 से 15 लोग रहते हैं। यहां एक शौचालय का 200 से ज्यादा लोग प्रयोग करते हैं।


पहले मरीज के फ्लैट में रुके थे तबलीगी जमात के लोग
धारावी में जिस 56 वर्षीय युवक की जान इस खतरनाक वायरस की वजह से गई, वह दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर आए लोगों के संपर्क में आया था। जानकारी के मुताबिक, जमात में शामिल होकर 22 मार्च को मुंबई लौटीं पांच महिलाएं मृतक के ही एक अन्य घर में रुकी थीं। बीएमसी ने मृतक के 15 हाई रिस्क कॉन्टैक्ट्स का कोरोना टेस्ट करवाया था। निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में करीब 13 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 1000 से ज्यादा के कोरोना संक्रमित होने की जानकारी अभी तक सामने आई है। धारावी में पहला मामला 1 अप्रैल को आया था और इसके बाद से इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। 



डॉ. कृतिका कपाल्ली, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी


डॉ. कृतिका बोलीं, आग की तरह फैल जाएगा कोरोना
इबोला, एचआईवी जैसी कई संक्रामक बीमारी पर काम करने वाली डॉ. कृतिका कपाल्ली ने धारावी को लेकर चिंता जाहिर की है। डॉ. कृतिका स्टेनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग में असिसटेंट प्रोफेसर हैं। उन्होंने धारावी में पहला मामला सामने आने के बाद ही ट्विट किया कि "मैं इसे लेकर पिछले कई महीनों से चिंतित थी। भारत की आबादी और धारावी जैसे बस्ती को देखते हुए यह चिंता जायज है। अब यह जंगल की आग की तरह फैल सकता है। अकल्पनीय ढंग से मौत और तबाही ला सकता है।"


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